मरूस्थलीय और वायु अपरदन मानचित्रों का विकास किया गया।
2.
छात्रों ने ग्राम खरवई में स्थित 540 मिलियन वर्ष पुराने विशाल बलुआ पत्थर से बनी चट्टान के निर्मित होने की प्रक्रिया जानी, साथ ही वायु अपरदन के कारण उसमें होने वाली दरारों तथा पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले प्राकृतिक क्षरण को भी निकट से देखा।